हर हिंदुस्तानी के लिए, चाय बहुत महत्वपूर्ण है ,बहुत से लोगों के लिए चाय के बिना सुबह नहीं होती, यदि वह सुबह चाय ना पिए तो उनका दिन अधूरा अधूरा सा लगता है, यदि हम कहीं जाते हैं तो सबसे पहले हमें जो चीज दी जाती है वह चाय होती है ,इसलिए हिंदुस्तान में चाय बहुत महत्वपूर्ण है, और आज के समय में अलग-अलग तरीके की चाय मार्केट में आती जा रही है, जैसे ग्रीन टी ,अदरक वाली चाय ,फ्लेवर चाय ,तंदूरी चाय, यानी चाय को अलग-अलग तरीके से बाजार में पेश किया जा रहा है जिससे कि चाय पीने वालों में उसका महत्व और बढ़ जाए |

#1. 100 साल पुराना व्यापार
आज हम आपको बताने जा रहे हैं, What is the story behind Wagh Bakri chai, तकरीबन 100 साल पुरानी बाग बकरी चाय जिसकी शुरुआत 1892 में हुई थी लेकिन हिंदुस्तान में यह 100 साल पहले आई ,आईए जानते हैं कौन है इसके फाउंडर और कैसे हुई बाग बकरी चाय की शुरुआत |
#2. कौन थे नारायण दत्त
साल 1892 में नारायण दत्त नाम के एक व्यवसाय ने दक्षिण अफ्रीका जाकर के वहां बसे और चाय का व्यापार शुरू किया उन्होंने 50 एकड़ जमीन दक्षिण अफ्रीका में खरीदी और वहां पर चाय की खेती की शुरुआत की वहीं पर उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई जिस तरीके से हिंदुस्तान अंग्रेजों के अधीन था उसी तरीके दक्षिण अफ्रीका भी अंग्रेजों के अधीन था महात्मा गांधी के प्रति नारायण दत्त का बड़ा झुकाव था और इसी के साथ-साथ उन्होंने चाय से संबंधित सभी गुण सीखें जैसे टेस्टिंग उत्पादन प्रोडक्शन एवं चाय से जुड़ी सभी छोटी से छोटी एवं बड़ी से बड़ी जानकारी हासिल की और चाय उत्पादन में आगे बढ़ते रहे |

समय बिता गया और दक्षिण अफ्रीका में नक्सलीय भेदभाव होने के कारण उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता था कुछ समय तक तो उन्होंने इसका विरोध किया परंतु असली भेदभाव बढ़ता गया जिसके कारण उन्हें दक्षिण अफ्रीका छोड़ना पड़ा और वापस भारत लौटना पड़ा भारत लौटते समय महात्मा गांधी ने उन्हें एक प्रमाण पत्र दिया जिसमें उनको ईमानदार एवं बेहतरीन चाय उत्पादक के के रूप में प्रमाणित किया
#3. 1919 में गुजरात लौटे नारायण दत्त: What Is The Story Behind Wagh Bakri?
1919 में जब वह गुजरात आए तो उन्होंने अपनी मेहनत से एक नई कंपनी जिसका नाम गुजरात टी डिपो था उसकी शुरुआत की समय गुजरता गया और दो-तीन साल के अंतराल के बाद गुजरात टी डिपो हिंदुस्तान की सबसे बड़ी चाय निर्माता कंपनी बन गई उसी के बाद बाघ बकरी वाले लोगों के साथ गुजरात ट डिपो का अनुबंध हुआ और फिर यह चाय बाग बकरी चाय नाम से जानी जाने लगी |

#4. भारत की पहली पैकिंग चाय कंपनी
1980 में गुजरात टी डेपो मैं थोक एवं साथ खुदरा दुकानों के साथ रिटेल में भी अपनी शुरुआत कर दी थी और हिंदुस्तान का यह पहला ग्रुप था जिसने चाय पैकिंग की शुरुआत की थी और धीरे-धीरे यह व्यापार बहुत तेजी से ऊपर जा रहा था 1980 में गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड को लॉन्च किया गया साल 2003 आते-आते बाग बकरी चाय गुजरात का सबसे बड़ा ब्रांड बन चुका था

#5. किन-किन प्रॉडक्ट की कर रही बिक्री: What Is The Story Behind Wagh Bakri?
वाघ बकरी टी ग्रुप वाघ बकरी, गुड मॉर्निंग, मिली और नवचेतन ब्रांड के तहत विभिन्न तरह की चाय की बिक्री करता है. जैसे कि वाघ बकरी- गुड मॉर्निंग टी, वाघ बकरी-मिली टी, वाघ बकरी- नवचेतन टी, वाघ बकरी- प्रीमियम लीफ टी आदि. आइस टी, ग्रीन टी, ऑर्गेनिक टी, दार्जिलिंग टी, टी बैग्स, फ्लेवर्ड टी बैग्स, इंस्टैंट प्रीमिक्स आदि की भी पेशकश की जाती है |

#6. बाघ बकरी चाय का व्यापार एवं प्रोडक्शन क्षमता
बाघ बकरी टी ग्रुप की मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता करीब 2 लाख किलो चाय का उत्पादन है और इसका टर्नओवर तकरीबन 1500 करोड रुपए सालाना का है हिंदुस्तान के 20 राज्यों में तथा 40 विदेशी देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है बाघ बकरी चाय का व्यापार देश के तकरीबन 20 राज्यों में फैला हुआ है और इनका एक्सपोर्ट 40 विदेशी देशों में किया जाता है

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